बाबा साई, कुछ सवाल हैं, आपसे :
क्या कभी समन्दर भी नदी मे डूबा करते हैं ?
क्या बादलों के ऊपर उड़ान भरने वाले परिन्दे भी कभी खोखले पेड़ों के तने मे अपना घर बसाया करते हैं ?
जिन्हे जला न सके भीष्ण अग्नि, वो क्यूँ जल के छूने से भस्म हो जाया करते हैं ?
जीने की ख्वाईश न हो जिन्हे, क्यूँ अक्सर मौत उन्हें सालों का इंतजार कराया करती है ?
जो बाँटते हैं जहाँ मे खुशियाँ, क्यूँ उनकी अपनी दुनिया वीराने में बस्ती है ?
जो कभी सच हो नही सकते, ऐसे सपने जिन्दगी क्यूँ बार बार दिखाया करती है ?
ॐ श्री साई राम !