आदरणीय रवि जी और निम्मी जी,
आपके शब्दों के लिये मैं आपका आभारी हूँ | मेरे जीवन में मुझको जो भी कुछ प्राप्त है वह मेरे गुरुदेव कि कृपा से ही है | सद्चरित्र में ३ प्रकार के भक्तो ( शिष्यों ) के बारे मैं लिखा है | "प्रथम, वह जो गुरु की आज्ञा पहले से ही समझ कर उस पर अमल करते है, दूसरे वह जो गुरु की आज्ञा मिलते ही उसे पूर्ण करते है और तृतीय वह जो गुरु की अवज्ञा करते हुये पग पग पर त्रुटी करते है" | जाने अनजाने में, मैं अक्सर तृतीय तरह का शिष्य बन जाता हूँ, जिसका मुझको बाद में अफ़सोस होता है | मेरी देव से यही प्रार्थना है की वह मुझको सबुद्धि दें, जिससे मैं भी उनका अच्छा शिष्य बन सकूं | मेरे देव ही मेरे जीवन का आधार है, मैं उनको कभी खोना नही चाहता |
ॐ साई राम