बाबा, जब मैं आपकी शरण मे आया था तो ये सोच कर आया था कि मैं आपका सेवक बनकर रहूँगा और समाज की सेवा मे स्वयं को लगाऊँगा।
मगर मैं अपने मकसद से भटक गया और सेवक से सवाली बन गया, बाबा मुझे क्षमा कर दीजिये और मुझे फिर से अपनी सेवा मे ले लिजीए।
बाबा मुझ पर कॄपा कीजिए और भविष्य मे मैं अपने मकसद से न भटकूँ,ऐसा आशिर्वाद दीजिए।