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Author Topic: वीर बालक  (Read 3982 times)

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Offline JR

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वीर बालक
« on: April 26, 2007, 01:14:26 AM »
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  • वीर बालक

    सर्दियों के दिन थे ।  सवेरे का समय था ।  एक बालक अकेले ही स्कूल जा रहा था ।  वह रेल की पटरी पर चला जा रहा था ।  अचानक उसने देखा कि एक जगह से रेल की पटरी उखरी हुई है ।

    बालक समझ गया कि यह एक ऐसी बात है जिसका परिणाम भयंकर हो सकता है ।  वह सोचने लगा अभी गाड़ी आयेगी ।  और वहाँ पर गिर जायेगी फिर सैंकड़ों मुसाफिर........ सैंकड़ों मुसाफिर........।

    वह आगे सोच न सका उसी समय दूर से गाड़ी के इंजन की आवाज सुनाई दी ।  फिर गाड़ी के धड़ धड़ की आवाज सुनाई दी ।  बालक काँप उठा ।  वह क्या करे ।  उसने गाड़ी में बैठे सैंकड़ों लोगों की जान बचाने की ठानी ।

    अब इंजन दिखाई देने लगा था ।  बालक झट से दोनों पटरियों के बीच में खड़ा हो गया ।  उसकी जान खतरे में थी परन्तु उसने परवाह ना की ।  उसने तुरन्त अपनी कमीज उतारी ।  और कमीज को झंडी की तरह फिराने लगा ।

    ड्राइवर की नजर उस बालक पर पड़ी ।  उसने झट से ब्रेक लगा दी ।  चीखता हुआ इंजन उसके पास आकर रुका ।

    ड्राइवर ने क्रोध से पूछा, अरे बालक तुमने गाड़ी क्यों रोकी ।

    उत्तर में बालक ने उखड़ी हुई रेल की पटरी दिखा दी ।  उस छोटे से वीर ने अपने प्राणों की परवाह ना करकर सैकड़ों लोगों की जानें बचाई ।

    ड्राइवर ने और दूसरे लोगों ने बालक की वीरता की प्रशंसा की ।  सब लोगों ने उसे हृदय से धन्यवाद दिया ।  यह घटना गाजीपुर स्टेशन के पास की है ।

    उस वीर बालक का नाम है अक्षय कुमार ।  सन् 1956 की बात है तब हमारे देश के राष्ट्रपति डाँक्टर राजेन्द्र प्रसाद थे ।  उन्होंने अपने हाथों से अक्षय को अशोक चक्र देकर सम्मानित किया था ।
    सबका मालिक एक - Sabka Malik Ek

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    Offline Ramesh Ramnani

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    Re: वीर बालक
    « Reply #1 on: April 28, 2007, 11:25:43 PM »
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  • JAI SAI RAM!!!

    A store owner was tacking a sign above his door that read: "Puppies For Sale". Signs like that have a way of attracting small children and sure enough, a little boy appeared under the store owner's sign.

    "How much are you going to sell the puppies for?" he asked.   

    The store owner replied, "Anywhere from $30 to $50."

    The little boy reached in his pocket and pulled out some change.

    "I have $2.37," he said. "Can I please look at them?"

    The store owner smiled and whistled and out of the kennel came Lady, who ran out in the aisle of his store followed by five teeny, tiny balls of fur. One puppy was lagging considerably behind.

    Immediately the little boy singled out the lagging, limping puppy and said, "What's wrong with that little dog?"     

    The store owner explained that the veterinarian had examined the little puppy and had discovered it didn't have a hip socket. It would always be lame.

    The little boy became excited. "That is the puppy that I want to buy."
     
    The store owner said, "No, you don't want to buy that little dog. If you really want him, I'll just give him to you."

    The little boy got quite upset. He looked straight into the store owner's eyes, pointing his finger, and said, "I don't want you to give him to me. That little dog is worth every bit as much as all the other dogs and I'll pay full price. In fact, I'll give you $2.37 now, and 50 cents a month until I have him paid for."         

    The store owner countered, "You really don't want to buy this little dog. He is never going to be able to run and jump and play with you like the other puppies."

    To his surprise, the little boy reached down and rolled up his pant leg to reveal a badly twisted, crippled left leg supported by a big metal brace. He looked up at the store owner and softly replied, "Well, I don't run so well myself, and the little puppy will need someone who understands." 

    Don't we all need someone who understands?

    OM SAI RAM!!!
     
    अपना साँई प्यारा साँई सबसे न्यारा अपना साँई - रमेश रमनानी

    Offline Ramesh Ramnani

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    Re: वीर बालक
    « Reply #2 on: April 29, 2007, 07:39:13 AM »
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  • जय सांई राम़।।।

    लहरों से डर कर नौका पार नही होती हिम्मत करने वालों की हार नहीं होती॥

    नन्ही चींटी जब दाना लेकर चलती है,चढ़ती दीवरों पर सौ बार फिसलती है। मन का विश्वास रगों में साहस बनता है, चढ़ कर गिरना, गिर कर चढ़ना ना अखरता है। आखिर उसकी मेहनत बेकार नहीं होती, कोशिश करने वालों की हार नहीं होती॥

    डुबकियाँ सिँधु में गोता-खोर लगता है, जा-जा कर खाली हाथ लौट आता है। मिलते ना सहज ही मोती पानी में, बहता दूना उत्साह इसी हैरानी में। मुठ्ठी उसकी खाली हर बार नहीं होती, हिम्मत करने वालों की हार नहीं होती॥

    असफलता एक चुनौती है, स्वीकार करो, क्या कमी रह गयी, देखो और सुधार करो।  जब तक ना सफल हो, नींद चैन की त्यागो तुम, संघर्षों का मैदान छोड़ मत भागो तुम। कुछ किये बिना ही जय-जयकार नहीं होती, हिम्मत करने वालों की हार नहीं होती॥

    अपना सांई प्यारा सांई सबसे न्यारा अपना सांई

    ॐ सांई राम।।
    अपना साँई प्यारा साँई सबसे न्यारा अपना साँई - रमेश रमनानी

    Offline Ramesh Ramnani

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    Re: वीर बालक
    « Reply #3 on: May 03, 2007, 08:36:21 AM »
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  • जय सांई राम।।।

    विद्वता पर विश्वास  

    एक बार मिथिला नरेश राजा जनक ने अश्वमेध यज्ञ का आयोजन किया। इस अवसर पर उन्होंने देश के सभी विद्वानों को बुलाया। कई दिनों तक वहां विभिन्न विषयों पर चर्चा होती रही, बौद्धिक विमर्श चलता रहा। एक दिन राजा जनक ने सभा में एक हजार गायें लाकर खड़ी कर दीं और कहा- 'आप में से जो भी अपने को सर्वश्रेष्ठ विद्वान समझता हो, वह इन गायों को ले जाए।'

    सभी एक दूसरे को देख रहे थे। किसी एक व्यक्ति के लिए अपने आप को सर्वश्रेष्ठ साबित करना कठिन काम था, जबकि वहां एक से बढ़ कर एक विद्वान उपस्थित थे। सवाल यह था कि अपने आप कौन कहे कि मैं सर्वश्रेष्ठ हूं। काफी देर हो गई, लेकिन एक भी विद्वान अपने को सर्वश्रेष्ठ घोषित नहीं कर सका। राजा जनक स्वयं चिंतित हो रहे थे कि इन गौओं को ले जाने वाला कोई भी योग्य विद्वान इस सभा में नहीं है। उन्होंने कहा, 'क्या आप लोगों में एक भी ऐसा विद्वान नहीं है जो अपने को सर्वश्रेष्ठ समझता हो।'

    चारों तरफ सन्नाटा पसरा था। सहसा याज्ञवल्क्य उठ कर खड़े हुए और उन्होंने अपने शिष्य समीक से कहा कि इन गायों को हांक कर ले जाओ और अपने आश्रम में बांध दो। उनका इतना कहना था कि वहां उपस्थित लोगों में खलबली मच गई। चूंकि वहां उपस्थित विद्वत मंडली में वह आयु में सबसे छोटे थे, इसलिए कोई उनके इस दावे को सहन नहीं कर सका। लोगों ने राजा जनक से कहा, 'महाराज यह कल का बच्चा सर्वश्रेष्ठ विद्वान कैसे हो सकता है। यह हम सबका अपमान है।'

    महर्षि याज्ञवल्क्य बोले, 'मैं मानता हूं कि मैं कल का बच्चा हूं और मुझसे अधिक श्रेष्ठ विद्वान यहां बैठे होंगे। वे ज्ञानी हैं, विद्वान हैं लेकिन उनमें आत्मविश्वास की कमी है। इसलिए वे अपने आप को सर्वश्रेष्ठ कहते हुए डरते हैं। यही डर उनके लिए कमजोरी बन रहा है। जिसे अपनी विद्वता पर विश्वास ही नहीं है, वह ज्ञानी होते हुए भी अज्ञानी है। राजा जनक ने निर्णय दिया, 'इन गायों को ले जाने का अधिकार याज्ञवल्क्य को ही है।' 

    अपना सांई प्यारा सांई सबसे न्यारा अपना सांई

    ॐ सांई राम।।।
    अपना साँई प्यारा साँई सबसे न्यारा अपना साँई - रमेश रमनानी

    Offline Ramesh Ramnani

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      • Sai Baba
    Re: वीर बालक
    « Reply #4 on: May 24, 2007, 02:39:52 AM »
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  • जय सांई राम।।।

    साहसी भोलू  
     
    एक गांव में भोलू नाम का एक लड़का रहता था। वह अपने माता-पिता और दो बड़े भाइयों के साथ रहता था। भोलू के माता-पिता को उससे बिल्कुल प्यार नहीं था। दरअसल, उसके माता-पिता भोलू और उसके बड़े भाइयों में हमेशा भेदभाव करते थे। उसके पिता जब भी शहर जाते, तो अपने बड़े लड़कों के लिए महंगे परिधान और अच्छा भोजन जरूर लाते, लेकिन बेचारे भोलू को कुछ नहीं मिलता था। एक दिन भोलू ने अपने पिता से पूछा कि आप हम तीनों भाइयों में भेदभाव क्यों करते हैं? इसपर उसके पिता ने चिल्लाते हुए कहा कि तुम अच्छे परिधान और महंगे भोजन के लायक ही नहीं हो, तुम बेकार हो। भोलू अपने पिता की इन बातों को सुनकर बहुत दुखी हुआ और उसने घर छोड़ने का निर्णय कर लिया।

    उसी रात भोलू चुपचाप घर से निकल गया और शहर की तरफ चल दिया। वह सुबह शहर पहुंच गया, लेकिन शहर की सड़कें बिल्कुल सुनसान थीं। भोलू ने सोचा कि इसके पीछे जरूर कोई कारण है। दरअसल, शहर में एक जंगली सुअर और एक जंगली बैल का आतंक था, इसीलिए ज्यादातर लोग अपने घरों से बाहर नहीं आ रहे थे, लेकिन भोलू इस बात से नहीं डरा और वह सड़कों पर आराम से घूमता रहा। जब वह सड़कों पर आराम से घूम रहा था, तभी उसे जंगली सुअर और बैल ने देखा और सुअर ने तुरंत अपने दोस्त बैल से कहा कि यह लड़का हम से डर नहीं रहा, आओ इसे मजा चखाएं। यह कहकर सुअर ने भोलू पर आक्रमण कर दिया। जैसे ही भोलू ने सुअर को अपनी ओर आते देखा, तो वह डर गया और भागने लगा। भागते-भागते वह एक पेड़ पर चढ़ गया। उस पेड़ पर बंदरों का एक झुंड रहता था। बंदरों को लगा कि इस लड़के को हमारी जरूरत है। इसलिए उन्होंने भोलू से कहा कि हम तुम्हारी मदद जरूर करेंगे।

    जैसे ही सुअर पेड़ के नीचे आया, बंदर उसे पत्थर मारने लगे। दरअसल, सुअर अचानक आक्रमण के लिए तैयार नहीं था, इसलिए वह भागने की कोशिश करने लगा, लेकिन वह भी बंदरों से बच नहीं पाया और सुअर वहीं मर गया। तभी बैल ने भोलू और बंदरों पर आक्रमण किया। भोलू पेड़ से कूद गया और गुलेल से बैल की आंखों पर निशाना लगाने लगा। भोलू के निशाने से बैल अंधा हो गया और वह इधर-उधर भागने लगा और थोड़े ही समय में बैल मर गया।

    बैल और सुअर दोनों के मरने से शहर के लोगों में खुशी की लहर दौड़ गई। लोगों ने भोलू को अपने कंधों पर उठा लिया और उसे राजा के पास ले गए। राजा ने भोलू को बहुत से ईनाम दिए और यह खबर उसके गांव भी पहुंच गई। जब भोलू वापस अपने गांव लौटा, तो उसके माता-पिता और भाई अपने व्यवहार से बहुत शर्मिदा हुए। वे सभी उससे माफी मांगने लगे। उस दिन से भोलू अपने परिवार के साथ खुशी से रहने लगा। इस घटना से भोलू का परिवार जान गया था कि कोई भी व्यक्ति बेकार नहीं है। केवल जरूरत है-हर व्यक्ति के गुण को जानने और समझने की। भगवान कहते हैं कि मैं हर इंसान से प्रेम करता हूं, क्योंकि मैंने सभी को अलग-अलग गुण देकर धरती पर भेजा 

    अपना सांई प्यारा सांई सबसे न्यारा अपना सांई
    ॐ सांई राम।।। 
    « Last Edit: May 24, 2007, 02:59:50 AM by Ramesh Ramnani »
    अपना साँई प्यारा साँई सबसे न्यारा अपना साँई - रमेश रमनानी

     


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