जय सांई राम।।।
मैं प्रस्तूत हूं,
नहीं ! मैं कोई मांग
प्रस्तुत नही करता!
जो "वो" देना चाहे दे दे,
आनंद है तो आनंद,
पीङा है तो पीङा !
मैं तो उस नदी की भांति हूं,
जो सब स्वीकार करती है,
दीप भी, शव भी !
हां ! बाबा आपकी कोई मांग हो तो कहे,
मैं प्रस्तूत हूं !
ॐ सांई राम।।।