जय सांई राम।।।
सांई माँ…अपनी माँ जैसी माँ।।
सांई माँ संवेदना है, भावना है अहसास है
सांई माँ…माँ जीवन के फूलों में खुशबू का वास है,
सांई माँ…माँ रोते हुए बच्चे का खुशनुमा पलना है,
सांई माँ…माँ मरूथल में नदी या मीठा सा झरना है,
सांई माँ…माँ लोरी है, गीत है, प्यारी सी थाप है,
सांई माँ…माँ पूजा की थाली है, मंत्रों का जाप है,
सांई माँ…माँ आँखों का सिसकता हुआ किनारा है,
सांई माँ…माँ गालों पर पप्पी है, ममता की धारा है,
सांई माँ…माँ झुलसते दिलों में कोयल की बोली है,
सांई माँ…माँ मेहँदी है, कुमकुम है, सिंदूर है, रोली है,
सांई माँ…माँ कलम है, दवात है, स्याही है,
सांई माँ…माँ परामत्मा की स्वयँ एक गवाही है,
सांई माँ…माँ त्याग है, तपस्या है, सेवा है,
सांई माँ…माँ फूँक से ठँडा किया हुआ कलेवा है,
सांई माँ…माँ अनुष्ठान है, साधना है, जीवन का हवन है,
सांई माँ…माँ जिंदगी के मोहल्ले में आत्मा का भवन है,
सांई माँ…माँ चूडी वाले हाथों के मजबूत कंधों का नाम है,
सांई माँ…माँ काशी है, काबा है और चारों धाम है,
सांई माँ…माँ चिंता है, याद है, हिचकी है,
सांई माँ…माँ बच्चे की चोट पर सिसकी है,
सांई माँ…माँ चुल्हा-धुंआ-रोटी और हाथों का छाला है,
सांई माँ…माँ ज़िंदगी की कड़वाहट में अमृत का प्याला है,
सांई माँ…माँ पृथ्वी है, जगत है, धुरी है,
सांई माँ बिना इस सृष्टी की कलप्ना अधूरी है,
सांई माँ तो सांई माँ माँ की भी ये कथा अनादि है,
ये अध्याय नही है…
…और माँ का जीवन में कोई पर्याय नहीं है,
जब तक सांई माँ है
तो माँ का महत्व दुनिया में कम हो नहीं सकता,
और माँ जैसा दुनिया में कुछ हो नहीं सकता,
तो मैं कला की ये पंक्तियाँ सांई माँ के नाम करता हूँ,
और दुनिया की सभी माताओं बहनों को मेरा नमन्
ॐ सांई राम।।।