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Author Topic: हमारी मांगें पूरी करो  (Read 35802 times)

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Offline saisewika

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Re: हमारी मांगें पूरी करो
« Reply #90 on: May 22, 2008, 03:37:06 PM »
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  • ओम साईं राम

    सुन लो नाथ हमारी विनती
    नाम जपें जब, भूलें गिनती

    शिरडी का लगवा दो फेरा
    प्रभु बना लो अपना चेरा

    मन मंदिर में साईं साजो
    हृदय में आ नाथ विराजो

    मैं और मेरा साईं प्यारा
    केवल तेरा रहे सहारा

    भक्ति भाव हृदय में भर दो
    नित दरशन पाऊं ये वर दो

    वाणी में रस भर दो स्वामी
    तुम्हें पुकारूं अंतर्यामी

    शब्दों का भी दे दो दान
    तेरा कर पाऊं गुणगान

    कभी थकूं ना ध्याते तुझको
    तुम बिन कुछ ना रूचे मुझको

    जब भी मैं मुख अपना खोलूं
    केवल साईं साईं ही बोलूं

    बिलख बिलख कर तुझे पुकारूं
    मन मंदिर में तुझको धारूं

    ऐसा वर दे दो हे दाता
    तुझसे जोडूं सच्चा नाता

    दुनिया में मैं रहूं जहां भी
    साईंनाथ को पाऊं वहां ही

    साईं खींचो मेरी डोर
    वृत्ति मोडो अपनी ओर

    जनम जनम में तुझको पाऊं
    साईं तेरे सदके जाऊं

    जय साईं राम

    Offline saisewika

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    Re: हमारी मांगें पूरी करो
    « Reply #91 on: May 30, 2008, 08:24:29 AM »
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  • ओम साईं राम

    साईं हमें दे दो सहारा तुम्हारा
    भंवर में है नैया दे दो किनारा

    खो बैठे हैं हम तो रातों की नींदें
    दुनिया से छोडी हैं सारी उम्मीदें

    हमें चाहिए बस दरस तेरा प्यारा
    शिरडी का सुंदर सा दे दो नज़ारा

    तेरे प्यार का मन में दीपक जला है
    तेरा ही करम है ये तेरी कला है

    तुम बिन नहीं अब हमारा गुज़ारा
    आ जाओ भक्तों ने तुमको पुकारा

    साईं अपने भक्तों को तुम ही संभालो
    ये विनती हमारी प्रभु अब ना टालो

    झलक इक दिखाओ करो वारा न्यारा
    नहीं मांगेगे तुमसे कुछ भी दोबारा

    जय साईं राम

    Offline tana

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    Re: हमारी मांगें पूरी करो
    « Reply #92 on: July 07, 2008, 04:43:31 AM »
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  • ॐ सांई राम~~~

    मेरे सांई सर्वाधार , मेरे जीवन के तुम सार,
    दो अक्षर का नाम तुम्हारा ,सब से सुन्दर सब से प्यार,
    कहने को तो दो अक्षर है "सांई "
    पर सारी स्रष्टी का सार समाया है ,
    हर पल जो भी हो रहा
    सभी श्री सांई की माया है!

    सुख दुख दोनों इनके बस में,
    इनका अन्त कही नहीं पाया है!
    मुझे भी अपनाओं सांई जी ,
    मुझे भी दासी बनाओं सांई जी ,
    इक बार इक झलक दिखाओं सांई जी ,
    दासी को पार लगाओं सांई जी!!!

    जय सांई राम ~~~~~
    "लोका समस्ता सुखिनो भवन्तुः
    ॐ शन्तिः शन्तिः शन्तिः"

    " Loka Samasta Sukino Bhavantu
    Aum ShantiH ShantiH ShantiH"~~~

    May all the worlds be happy. May all the beings be happy.
    May none suffer from grief or sorrow. May peace be to all~~~

    Offline tana

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    Re: हमारी मांगें पूरी करो
    « Reply #93 on: July 26, 2008, 11:45:48 PM »
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  • ॐ सांई राम~~~

    मेरा हर एक आँसू सांई तुझे ही पुकारे है ,
    मेरी पहुँच तुझ तक सिर्फ आँसुओं के सहारे है,
    जब आप की याद सांई सही न जाए
    आप को सामने न पा कर दिल मेरा घबराए है ,
    तब ज़ुबा, हाथ , पांव सब बेबस होते है ,
    इन्ही का काम सांई आँसू कर देते है,
    ये आप तक तो नहीं पहुँते पर फिर भी ,
    इस तङप को कुछ शांत कर देते है ,
    जब तक ये बहते है सांई आँखे बंद रहती है ,
    बंद आँखे ही सांई मुझे आप से मिलाती है ,
    बह बह कर सांई जब ये थक जाते है ,
    कुछ समय सांस लेने खुद ही रूक जाते है ,
    पर आप की याद कभी नहीं थकती है,
    बिना रूके सदा मेरी सांसों के साथ ही चलती है ,
    मुझे मंज़ूर है ये सौदा आप यूँ ही याद आते रहिए,
    आँसूओं के सहारे ही सही मेरे नैनों में समाते रहिए~~~


    जय सांई राम~~~


    http://www.shirdi-sai-baba.com/sai/कविताये/मेरा-हर-एक-आँसू-सांई-तुझे-ही-पुकारे-है-t106.0.html
    "लोका समस्ता सुखिनो भवन्तुः
    ॐ शन्तिः शन्तिः शन्तिः"

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    Offline saisewika

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    Re: हमारी मांगें पूरी करो
    « Reply #94 on: July 28, 2008, 06:07:11 PM »
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  • ओम साईं राम

    नज़रों से अपनी हे साईं
    तू हमको ना गिराना
    तुझसे कभी ना बिछडें
    वो रास्ता सुझाना

    हमको हे बाबा तुझसे
    बस इतना ही है कहना
    कहीं भटक ना हम जाएं
    तू बांह थामें रहना

    जग में हैं जो बेचारे
    कई आफ़तों के मारे
    भवंर में उनकी नैया
    तू करता है किनारे

    बिगडी तू ही बनाता
    तू किस्मतें जगाता
    भटके हुओं को साईं
    तू रास्ता दिखाता

    पानी को तेल कर दे
    है तुझमें ऐसी शक्ति
    पतितों में भी जगा दे
    तू ग्यान और भक्ति

    कदमों तले है तेरे
    प्रयाग और काशी
    झुकता जो तेरे दर पे
    कट जाती है चौरासी

    खारे से जल को मीठा
    साईं तूने ही किया था
    कई भक्तों को जीवन
    साईं तूने ही दिया था

    तिर्लोक पर है चलती
    दाता तेरी हुकूमत
    पत्ता नहीं हिलता
    बिना तेरी इजाज़त

    हर ज़र्रे में है साईं
    तेरा ही नूर बसता
    तेरे दर पे पहुंचता है
    दुनिया का हर इक रस्ता

    निगाहें करम अपनी
    हम पर भी रखना साईं
    तू ही खुदा हमारा
    तुझसे ही है खुदाई

    जय साईं राम

    Offline saisewika

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    Re: हमारी मांगें पूरी करो
    « Reply #95 on: September 03, 2008, 11:27:18 AM »
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  • ॐ साईं राम

    ओ शिरडी वाले बाबा 
    तू अपना रूप दिखाजा
    तू ही मेरा राम रहीम
    तू ही मेरा ख्वाजा
    ओ शिरडी वाले बाबा
    तू अपना रूप दिखाजा

    एक हाथ टमरेल थमा है
    एक हाथ है सटका
    मुख मंडल की आभा में
    मन मेरा जा अटका
    इस दिल की प्यास बुझा जा
    तू अपना रूप दिखाजा 
    ओ शिरडी वाले बाबा
    तू अपना रूप दिखाजा

    बाबा तेरी लम्बी कफनी
    लगती मुझको प्यारी
    सर पर बांधे पटके की
    है शोभा बड़ी निराली
    मन मन्दिर में आकर बाबा
    इस मन की शान बढ़ा जा
    ओ शिरडी वाले बाबा
    तू अपना रूप दिखाजा

    पहन पादुका चलते बाबा
    इक टक रूप निहारूं
    साईं तेरी चेरी हूँ
    तुझपे ही तन मन वारूँ
    तेरे दर पर जा पहुंचे
    उस पथ का पथिक बना जा
    ओ शिरडी वाले बाबा
    तू अपना रूप दिखाजा

    बाबा अपनी झोली में
    तूने है क्या क्या डाला
    सबके दुःख और आधि व्याधि
    इसमें यही सम्भाला
    करूणा प्रेरे ,करूणा देनी   
    हमको भी सिखालाजा
    ओ शिरडी वाले बाबा
    तू अपना रूप दिखाजा

    जय साईं राम

    Offline tana

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    Re: हमारी मांगें पूरी करो
    « Reply #96 on: September 07, 2008, 02:16:31 AM »
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  • ॐ सांई राम~~~

    क्या करूं कैसे संभालू
    ये मन संभले न संभलता है,
    जितना चांहू बस में करना
    उतना उङता जाता है,
    जितना चांहू बाँध के रखना
    उतने पर फैलाता है,
    छोटा कितना है ये मन
    पर न जाने कितने पंख फैलाए हैं,
    इस मन का पेट कभी न भरता
    रोज़ नई ख्वाइश रखता है,
    जब मैं चैन से बैठना चाहूं
    यही मुझे तंग करता है,
    मेरा मन तो चाहे कि मन ही न हो
    बस फिर कोई झंझट ही न हो,
    हे सांई यह कृपा  कर दो
    इस मन को बस में कर दो
    इसके पंख काट डालो या फिर मुझे तुम अपना लो~~~


    जय सांई राम~~~


    http://www.shirdi-sai-baba.com/sai/कविताये/क्या-करूं-कैसे-संभालू-t116.0.html
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    Offline tana

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      • Sai Baba
    Re: हमारी मांगें पूरी करो
    « Reply #97 on: September 17, 2008, 02:29:51 AM »
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  • ॐ सांई राम~~~

    कठपुतली की तरह बस नाचे जा रही हूँ,
    किसी ने धागे से जिधर खीचां बस वही चल दी,
    बिना कुछ सोचे बस ठुमके लगा रही हूँ,
    मेरी आत्मा कोसती मुझको धिक्कार दे रही,
    तू है जिन्दा इंसान,तुझमे भी दिल है,
    क्या यूँ ही जन्म गवाएगी
    न सोचे गी कुछ बस धागों पर नाचती जाएगी,
    परमेश्वर की संतान है तू
    उस ईश्वर का अभिमान है तू,
    न की सिर्फ काठ की पुतली,
    जो सिर्फ नाचे जाती है,
    मन को कर ले काबू में, तोङ के सारे धागों को
    रख ले अपने हाथों में,
    सौपं दे उसको अपना हर सांस, जो भी बाकी बचा हुआ,
    फिर देख इस जीने में क्या है मज़ा,
    सौपं दे सारे धागें उसको जो असली तेरा रचयिता है~~~

    सांई~~~~~~~

    जय सांई राम~~~


    http://www.shirdi-sai-baba.com/sai/कविताये/कठपुतली-की-तरह-बस-नाचे-जा-रही-हूँ-t53.0.html
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    Offline sai samarpan2008

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    Re: हमारी मांगें पूरी करो
    « Reply #98 on: January 27, 2009, 04:10:56 AM »
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  • Dear sir,JAI SAI RAM your articles are too good & thought provoking can you write for our quaterly magzine which is mainly on shirdi sai baba & his objects if yes u can mail  you poems ,prose, stories,articles on this address b- 242a derawal nagar ,opp pentamed hospital delhi 110009 or email on sai.samarpan2008@gmail .com
     

    Offline saisewika

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    Re: हमारी मांगें पूरी करो
    « Reply #99 on: March 05, 2009, 11:17:15 AM »
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  • ॐ साईं राम

    नहीं आज कुछ नहीं चाहिए
    ऐसा कहता है ये मन
    बस श्रद्धा से नतमस्तक हो
    तुमको करना चाहूं नमन

    कुछ ना मांगू, कुछ ना चाहूं
    ना कोई अभिलाषा हो
    ना ही इच्छा ना ही तृष्णा
    ना ही कोई आशा हो

    निर्मल मन और सत् चित लेकार
    साईं के सन्मुख जाऊं
    प्रेम पूर्वक हाथ जोङकर
    श्री चरणों में झुक जाऊं

    द्वैत भाव का करूं समर्पण
    अहंकार को त्यागूं मैं
    महा गर्त में पङी हुई सी
    चिर निद्रा से जागूं मैं

    नयनों में प्रेमाश्रु, ह्रदय में
    श्रद्धा और सबूरी हो
    अनन्य भाव हो प्राप्त गुरू से
    फिर ना कोई दूरी हो

    साईं नाम हो मुख में मेरे
    देव छवि ही हो दिल में
    साईं साईं ध्याती जाऊं
    शुभ घङी या फिर मुशकिल में

    बस श्रद्धामय भक्ति भावमय
    एक नमन बस एक नमन
    स्वीकारो हे नाथ स्वीकारो
    सुजला सुफला हो जीवन

    जय साईं राम

    Offline rr_sai_bhakt

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    Re: हमारी मांगें पूरी करो
    « Reply #100 on: March 05, 2009, 11:32:23 AM »
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  • SaiSewika ji,

    Om Sai Ram ...

    Just read a couple of your posts ...

    You are truly talented SaiSewika ji ... a truly blessed child of Sai ...

    Apne man ki baaton ko ithne meethe tarike se shabdon mein bayaan karna, waakayi ek khoobsoorat hunar hota hai.

    Sai Baba ka aashirwad humesha aap par bana rahe.

    Please keep contributing regularly for the benefit of us all ..

    Om Sai Ram ...

    Offline saisewika

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    Re: हमारी मांगें पूरी करो
    « Reply #101 on: March 05, 2009, 11:40:37 AM »
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  • OM SAI RAM

    Thank you SAI bhakt ji for your appreciation...

    Its all Baba's blessing and inspiration......

    JAI SAI RAM

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    Re: हमारी मांगें पूरी करो
    « Reply #102 on: March 05, 2009, 03:40:21 PM »
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  • Sai Ram

    I was definately missing your wonderful poems. Please keep posting as this is a wonderful stage and hundreds of devotees enjoys the Sai Leela through this blsssed Forum.

    Sai Ram

    OM SAI RAM

    Thank you SAI bhakt ji for your appreciation...

    Its all Baba's blessing and inspiration......

    JAI SAI RAM

    Offline saisewika

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    Re: हमारी मांगें पूरी करो
    « Reply #103 on: March 06, 2009, 10:53:39 AM »
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  • OM SAI RAM

    SAI RAM Raviji

    By Baba's grace and will , I will try to post on regular basis , as you have rightly mentioned it is a wonderful platform of SAI devotees.......

    JAI SAI RAM

    Offline saisewika

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    Re: हमारी मांगें पूरी करो
    « Reply #104 on: April 14, 2009, 11:36:01 AM »
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  • ॐ साईं राम

    मेरा जी चाहता है साईं
    तेरा मैं गुणगान करूं
    जहां भी कोरा कागज़ देखूं
    लिख लिख तेरा नाम भरूं

    आसमान पर साईं लिख दूं
    सूरज की किरणों से मैं
    नाम तेरा फिर गूंज उठे
    भूतल के हर कण कण में

    सागर की लहरों पर जाकर
    बिखरा दूं मैं साईं नाम
    दूर दूर तक जहां नज़र हो
    वहीं पे देखूं तेरा धाम

    हवाओं और फिज़ाओं पे लिख दूं
    साईं नाथ मैं नाम तेरा
    चमन में खुशबू बन कर फैले
    जयघोष तेरा जयनाद तेरा

    ज़र्रे ज़र्रे में भर जाए
    साईं नाम का ही स्पंदन
    पुलकित होकर दर्शन पाऊं
    हर पल तेरा हो चितरंजन

    साईंमय ये सृष्टि सारी
    देखूं यहां वहां चहूं ओर
    नज़रों से ओझल ना होना
    मेरे चंचल चित्त के चोर

    जय साईं राम

     


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