Om SAi Ram,
Beautiful, really well said....
thanks a lot , (4 sharing this )
aisa lag raha hai jaise mere man ki sari bhawanaye is kavita me sama gai ho.......
kai baar aisa khyaal aata hai , kii kya hum bhi honge us pal waha....sang baba ke,,,,,,,,
ho na ho kuch toh sachchai hogi is khwaab me tabhi toh is janam me baba ke charno me thoda sathaan mila hai aur aap logo jaisa sai parivaar mila hai....
thanks babaji,,,,,,
Love You Babaji
Sai in my heart
ॐ साईं राम
क्या पता?
क्या पता जब बाबा देह में थे
तब मैं भी देहधारी ही थी
बाबा के संग संग रहती थी
मैं बाबा जी की प्यारी थी
क्या पता?
क्या पता॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰
नित शिरडी में आना जाना था
या शिरडी में ही रहती थी
बाबा की वाणी सुनती थी
और दिल की बातें कहती थी
क्या पता?
क्या पता॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰
कोई चिडिया कीट पतँगा थी
मस्जिद में उडती फिरती थी
किसी दिए से जा कर टकराती
मैं श्री चरणों में गिरती थी
क्या पता?
क्या पता॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰
कोई कूकर, शूकर या मोटी गाय
बाबा के पास मँडराती थी
या मक्खी या तितली बनकर
बाबा का दर्शन पाती थी
क्या पता?
क्या पता॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰
वो बूढा बाघ थी जिसने
श्री चरणों मे मुक्ति पाई थी
या फिर वो छिपकली थी शायद
जो औरँगाबाद से आई थी
क्या पता?
क्या पता॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰
शिरडी के अनगिन लोगों में
मैं भक्त थी अपने देवा की
मैंने भी पाँव दाब कर के
अपने मालिक की सेवा की
क्या पता?
क्या पता॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰
चुनकर सुँदर और ताजे फूल
मैं सुँदर हार बनाती थी
प्रभु प्यारे को अर्पित कर
मैं मन ही मन मुस्काती थी
क्या पता?
ऐसी ही अनगिन सँभावनाऐं
उठती हैं चँचल चित्तवन में
मैं भाव विह्वल हो जाती हूँ
खुश हो लेती हूँ मन में
क्या पता ये मेरा भरम ना हो
कुछ सच में हुआ हो ऐसा ही
सपना जो देखा है मन ने
कुछ घटा हो सच में वैसा ही
बाबा भी तो ये ही कहते हैं
जन्मों का नाता है अपना
फिर क्यूँ ना सोते जगते में
मैं देखूँ ये सुन्दर सपना
जय साईं राम