जय साईं राम
मै जीविकोपार्जन हेतु मेरी अम्मा से कोसो दूर रहता हूँ और सालाना एक बार ही उनसे मिलने को जा पता हूँ . मेरी अम्मा साईं की दीवानी है .सदा ही साईं के प्यार में डूबे रहने में ही उन्हें आत्मिक शांति की अनुभूति होती है . वो प्रतिदिन मुझे भी प्रात: काल बाबा की लीलालो और विचारो पर छोटी-छोटी कवितायेँ SMS करती हैं . आज मुझे अचानक विचार आया की क्यों न मैं इन कविताओ को आपसे भी बाटूँ और आपको भी साईंमय आनंद के सागर में गोते लगाने के लिए ले चलू.
प्रतिदिन की कुछ कविताओं को संगृहित करके आपके समक्ष रखने का प्रयास कर रहा हूँ ..............
ॐ साईं नाथाय नमः
दास गणु जाने लगे, पावन तीरथ प्रयाग
गंगा जमुना पा गए ,साईं चरणन लाग |
पंडरपुर की परिधी में ,शिर्डी गाँव बसे
कन्हा का मंदिर यहाँ ,यही द्वारकामाई भी बसे .|
रात भर दीपक जले, साईं जल से दीप जलायें
चमत्कार ये देखकर, शिर्डी वासी सब चकराएँ |
बाबाजी पहुंचे वह, आदर करता गाँव
महलसपति कहने लगे, आओ साईं आओ |
तब से वे साईं हुए, साईं आदर पाए
सभी भक्त साईं कहें, साईं नाम सुहाए |
सटका मार ज़मीन पर , पानी रहे बहाए
चिमटा गार्ढ़ जमीन में, अग्नी भी ले आये |
अंधकार में किरण की एक आस चाहिए
मन में अटल विस्वास चाहिए
होगा जरूर एकदिन साईं एहसास
मन में श्रद्धा और सबुरी का वास चाहिए |
जीव-जंतु सब धन्य है ,शिर्डी जनम लिवाय
साईं चरणन धूलि जब, मस्तक पर लग जाये |
तारो को रोशन करे, जो चंदा चमकाए
शिर्डी में साईं प्रभु , सूरज बनके आये |
शांति और बेराग से, वैष्णवी भक्ति पावे
भवसागर भरी कठीन, साईं पार लगाये |
बाबा का अंतकरण, अजाब निराला होय
साईं तो शिर्डी बसे, ज्ञान विश्व का होय |
फूलो में खुसबू बसे, खुसबू पवन बहाए
इसी तरह साईं प्रभु, चन्दन से महकाए |
दया धर्म से हीन हो, पाप बढे संसार
स्थापन निज धर्म को, साईं ले अवतार |
मन चंचलता छोड़कर, आलस दूर भगाए
आसक्ति इन्द्रियां तज, साईं लीला गए |
साईं लीला का श्रवण ही, सबसे सुगम उपाय
मन-मंदिर साईं बसे, मोक्ष दवर खुल जाये |
साईं से क्या पूछना, साईं को सब है ज्ञान
बैरागी अध्यातामय, साईं गुंणों की खान |
बाबाजी में पा गए, अकल्कोट महाराज
शिर्डी में साईं बसे, हम सबके सरताज |
साईं राम