ॐ साँई राम।।।
कविता जी मेरी सांई से प्रार्थना मे हैं ना हम सब शामिल। एक राज़ की बात बाबा ने मुझसे कही है, सिर्फ अपने लिये की गई प्रार्थना, प्रार्थना नही होती सौदे बाज़ी होती है, स्वार्थ होता है। दूसरे के लिये की गई प्रार्थना ही मेरे बाबा सांई कबूल करते है, फलित करते हैं। समझने की बात है प्रकृति का नियम है कि जो भी तुम प्रकृति को देते हो वो कई गुणा ज्यादा तुम्हे लौटाती है। इसलिये हमे अपने से हटकर दूसरों के लिये ही बाबा सांई से मांगना चाहिये।
शोर में
शान्ति से तुम
भोर में
आरती से तुम
पंछी में
पंखों से तुम
बंसी मे
छिद्रों से तुम
हकीकत में
भ्रान्ति से तुम
स्वप्न में
जीते जागते से तुम
कला में
सृजन से तुम
प्रेम में
समर्पण से तुम
धड़कनों के लिये
ह्रदय सा केतन हो तुम
जानते हुए बनता जो
अनजान
वो अवचेतन हो तुम
ॐ साँई राम।।।