जय सांई राम।।।
कुछ पाने के लिए कुछ खोना पड़ता है। हमें सांई भक्ति का असीम आनंद चाहिए, तो फिर हमें अहंकार, दिखावा छोड़ देना चाहिए। आपके मन मे अहंकार और सांई भक्तिभाव एक साथ नही रह सकते, दोनो मे से एक रह सकता है। किसको जगह देनी है, आपको तय करना है। अहंकार दुख देने वाला अंधकार है और सांई भक्तिभाव सुख का प्रकाश है। दुखों से हार के, दुखों के डर से आप सांई भक्ति की तरफ मत आओ। स्वयं प्रेरणा से, बड़े प्रेम से, लगन से आप सांई भक्ति मार्ग पर चलते रहो। इक दिन सांई स्वयं आपके होगें - आप सांई के होंगे। सांई भक्ति का अनुभव कुछ निराला है, दिव्य है। स्वयं अनुभव ले लें।
यदि भाई की मानों तो बाबा सांई के मामले मे देखा देखी बिलकुल ना करना और इससे भी सबसे मुख्य बात - बाबा के चमत्कारों के चक्कर में तो कभी बिलकुल ना पड़ना। अगर आप सच्चे मन से, पूरी निष्ठा से सांई के बन जायें, तो फिर समझ लेना फिर कुछ पाने के लिए आपको कोई इच्छा भी नही रहेगी। आपको अपने नसीब का सांई खुद-ब-खुद देगें। इक सांई मिल गये, तो समझना सारा जंहा मिल गया। इससे बड़ा कोई और दूसरा चमत्कार फिर आपको देखने की इच्छा ही नही रहेगी।
ॐ सांई राम।।।