well i personally am no longer big fan of saibaba anymore, why?
cause he hasnt been much useful to me for anything, in fact not much, i should say hasnt been helpful at all.
I have every reason to complain, i prayed him for many years, i kept lots of faith in him, my parents are having tremendous fith in him, but now i think its time to move on.
i have had full reading of sai satcharitra for 2-3 times, visited shirdi about 6 times in last 5 yrs. had fast on thursday for 3 -4 months, tried to maintain all the shraddha and saburi but all waste.
i shouldnt say i hate sai baba, but hv no more faith in him or any love left for him, i feel like it was a total waste of time that i spent in praying him.
how many of you are with me? I would like to know how many have been disappointed by sai baba and believe that its no point in praying him anymore?
जय साईं राम
राकेशजी नमस्कार ,
आपके द्वारा कही गई हर लाइन से ही आपके मनोस्थिति का अंदाज़ा लगाया जा सकता है .किसी दुखत घटना के कारणवस आप अपना मानसिक संतुलन बनाये रखने मे असमर्थ महसूस कर रहे है और तदुपरांत आपके मुख से बाबा के प्रति कटु वचन निकल रहे है.
जो व्यक्ति 7-8 सालो से बाबा से इतना प्यार करता हो और जिसने श्री साईं सत्चरित का 3-4 बार सम्पूर्ण रूपसे अध्यन किया हो वो शायद कभी भी बाबा को ऐसे नहीं बोल सकता .जिसने भी श्री साईं सत्चरित का अध्यन किया है वो भली -भात जनता है कि बाबा ने ना कभी किसी के प्रारब्ध को बदला है ना ही कभी कोशिस ही की है.बाबा सीमा उल्लंघन के सदा ही विरुद्ध थे . केवल एक बार श्री तत्याजी कि मृत्यु को टाल कर खुद ही मृत्यु को वरण किया था. बाबा सदा ही कहते थे कि हर किसीको आपने कर्मो का प्रयाश्चित तो करना ही पड़ता है . हँ बाबा उसके कष्टों को जरूर कम करने और उसे सहने की शक्ति जरूर प्रदान करते है अगर वो द्रढ़ता से उनके चरणों को पकड़ के रहता है . कठिन परिस्थियोमे ही श्रद्धा और सबुरी की कड़ी परीक्षा होती है . यही समय है जब आप हर तरफ से इतना मायूस हो जायेगे और हर प्यारी चीज़ से भी विरक्ति होने लगेगी पर आपना सम्पूर्ण ध्यान अपने इष्ट पर ही रखियेगा . वही आपको इस विसम परिस्थिति से निजात दिलायेगे . ये मेरा द्रढ़ विस्वास है.
आपने लिखा है कि "well i personally no longer big fan of sai baba anymore"
आप बाबा के केवल एक बहुत बड़े प्रशंसक(fan) ही थे नाकि एक बहुत बड़े अनुयाई (follower). आपने केवल एक प्रशंसक की तरह ही बाबा को आज तक देखा या समझा पर अनुयाई बनके आज तक आपने कभी उनके वचनों और विचारो का अनुसरण ही नहीं किया या कोशिस ही की. आपने श्री साईं सत्चरित को अनेको बार पढ़ा पर केवल एक कहानी या कोरा उपन्यास समझ कर. आप शिर्डी तीरथधाम की यात्रा भी की पर केवल एक पर्यटक बनके नाकि एक उपासक या अनुयाई बनके.
अपने फिर लिखा है कि " I should say i hate sai baba, but hv no more faith in him or any love left for him,i feel like it was a total waste of time that i spent in praying him"
फिर से मै उसी बात को दोहराना चाहूगा कि आपने श्री साईं सत्चरित को केवल पढ़ा ही है,उसको ना समझा है ना ही आपने कोशिस ही की है . बाबा तो घृणा,मान-अपमान,लोभ लालच इत्त्यादी चीजों से विमुक्त थे . उन्होंने सदा ही आपस मे प्यार करना सिखाया था घृणा करना नहीं . बाबा ने कभी भी किसी व्यक्ति विशेष या किसी एक ही व्यक्ति के विचारो से प्यार नहीं किया .उन्होंने तो समूचे ब्रह्माण्ड के प्राणियों से प्यार किया और सदेव उनके कल्याण हतु चिंता मगन रहे. आपको बाबा बहुत ही प्यार करते है और करते रहेगे अपतु :आप उन्हें घृणा करे या प्यार करे . बाबा को प्यार करने वाले जब बाबा से नाराज होते है तो उस व्यक्ति से कही जादा बाबा दुखी होते है . ये आप के करम है जिनका प्राश्चित तो आपको करना ही होगा. आपका कहना है कि आपने बाबा का स्मरण कर के समय बर्बाद किया है . मै ये सोचता हु कि अगर आपने स्मरण नहीं किया होता तो शायद आज जो भी हुआ है या हो रहा है ,उससे लाख गुना बुरा हो सकता था . बाबा कि अनुकम्पा से केवल आंशिक भाग ही आपको भोगना या सहना पड़ रहा है. आपने कोई भी समय नहीं बर्बाद किया बलकी आपने स्मरण करके अपनी जिन्दगी को बचाया ही है .
आपने लिखा है कि "how many of you are with me? I would like to know how many have been disappointed by sai baba and believe that its no point in praying him anymore?"
फिरसे मै यही कहुगा कि आपने श्री साईं सत्चरित को केवल एक उपन्यास की तरह ही पढ़ा है. अगर आपने ध्यान से पढ़ा होता तो आपको आपके इस प्रश्न का उतर खुद ही मिल जाता.
एक बार श्री श्यामाजी ने बाबा से प्रश्न किया कि हे देवा शिर्डी मे हजारो-लाखो भक्तगण आते है ,क्या सभी की मनोकामनाए पूरी होती है . बाबा ने बौर से लदे हुए आम के पेड़ की और इशारा करते हुए कहा कि क्या सभी बौर कल आम बन जायेगे .कुछ आधी -तुफानो मे झड जायेगे ,कुछ भीषण गर्मी से झड जायेगे तो कुछ मुसलाधार बारिस के चपेट मे आ जायेगे. आखिरी मे आम का फल वही बौर बनेगा जो द्रढ़ता से आम कि टहनी से आखिर तक जुड़ा रहेगा . बौर हमलोग है ,विपत्तिया ये आधी -तूफान गर्मी वर्षा है ,टहनी दृढ़ आस्था है और आम का पेड़ खुद श्री साईनाथ महाराजजी है.
शायद इस विवरण से आपको आपके इस प्रश्न का उतर प्राप्त हो गया होगा . रही बात अन्य व्यक्तिओ की तो ये कोई वोट का विषय नहीं है जहा आप आपनी एक आपनी बातो को सही साबित करने ले लिए लोगो से सहमति मांग रहे है . ये भक्त और भगवान् का विषय है नाकि जनता और नेता का.
हँ ये सही है की फोरम से जुड़े हर एक सदस्य बाबा से बहुत प्यार करते है . इसका मतलब कदाचित ये नहीं है की सभी सुखी है या किसी को कोई भी मुसीबत का सामना नहीं करना पड़ रहा है . पर सबको इसका भली-भात ज्ञान है की बाबा विघ्नहर्ता है और वो एक दिन आवश्य आपने बच्चो को उनके दुखो से मुक्ति दिलायेगे .
क्या मै आपसे एक प्रश्न पूछ सकता हु . माता- पिता का स्थान तो भगवान् से भी पहले आता है . क्या कभी आपकी फरियाद माता-पिता ने किसी
मज़बूरीवस ना पूरी कर सके हो और आप उनसे बहुत ही नाराज हुए हो ,तो क्या आपने मन मे माता-पिता के प्रति घृणा का भाव आया या आपने माता-पिता का परित्याग ही कर दिया . आपने कभी ऐसा नहीं किया होगा .
बाबा सभी का भला चहेते है पर सीमा उल्लंघन नहीं कर सकते .ये बाबा ने श्री साईं सत्चरित मे खुद ही इसका वर्णन किया है.
मै विगत कितने सालो से विभिन्न प्रकार की समस्सायो से घिरा हुआ हु पर बाबा के चरणों को पकड़ के रखने की कोशिस अभी तक कायम है .
बाबा मुझे और मेरे परिवार को हर विषम परिस्थियो मे सदा शक्ति प्रदान करते रहे है जिसकी वजह से आज मै और मेरा परिवार काफी हदतक
उन परिस्थितियों से निकल पाये है . मुझे बाबा ने जिसकी मेने कभी भी कल्पना नहीं की थी वो अनुकम्पा की है . मुझे यूरोपे ले आये और आजकल मे यूरोपे मे नौकरी कर रहा हु . अभी भी बहुत सी समस्साये है पर मुझे दृढ़ विस्वास है की बाबा सब बची हुई समस्सायो से भी मुझे और मेरे परिवार
को निजात दिलवा देगे .
बाबा भी यदा-कदा अपने बच्चो की परीक्षा लेते रहते है . उनकी रची हुई रचना वो खुद ही जानते है .हमलोग जैसे मुर्ख और अज्ञानी उसको नहीं समझ
सकते . बाबा के हर कार्य के पीछे कोई न कोई मकसद अवश्य छिपा होता है . कभी -कभी हमें वह बहुत ही कष्टकारी लगता है पर उसका परिणाम
बहुत ही सुखदाई होता है.
राकेशजी आपसे अनुरोध है की नकारात्मक विचारो का अभी से त्याग करके सकारात्मक सोच को आपने मन मे पनाह दीजिये . आप खुद ही देखिएगा बाबा कैसे आपके कष्टों का नाश करते है . साईं शब्द ही सकारात्मक उर्जा का संचार कर देता है और नकारात्मक शक्तियों का नाश करता है . आप खुद को एकदम अकेला ना समझजियेगा बाबा आपको लेके आपसे जादा व्याकुल हो रहे होगे .
हम सभी साईं प्रेमी आपके लिए बाबा से रहम की दुआ मागेगे जिससे आप शिग्रः ही आप आपने कष्टों से मुक्ति पाये.
साईं राम