जय सांई राम।।।
बाबा से प्रेम मानो आग के दरिया में डूबना........डूबना है?
मित्रता एक मीठी जिम्मेदारी है, यह अवसरवादी नहीं हो सकती। वह मित्र किस काम का, जिसे तुम केवल वक्त काटने के लिए तलाशो, उसे हमेशा अपने वक्त को पूरी तरह जीने के लिए तलाश करो।
मित्रता तुम्हारी जरूरत को पूरा करने के लिए है, तुम्हारे खालीपन को भरने के लिए नहीं। मित्रता की मिठास में अपनी खिलखिलाहटों को शामिल होने दो, अपनी खुशियां बांटो, क्योंकि इन्हीं छोटी-छोटी खुशियों के ओस-कणों में हृदय को अपना प्रभात मिल जाता है।
इसलिये जब भी बाबा की मित्रता तुम्हें पुकारे, उसके पीछे चल पड़ो, याद रखना उसके रास्ते बीहड़ हैं, उसमें छिपी हुई तलवार तुम्हें घायल करती हो तो करे। जब वो तुमसे कुछ कहें तो उन पर यकीन करना। संभव है कि उनकी वाणी तुम्हारे स्वप्नों को चूर-चूर भी कर दे, जैसे उत्तर की बर्फीली हवा पूरे उपवन को उजाड़ देती है। क्योंकि प्रेम यदि तुम्हें सिंहासन पर चढ़ा सकता है तो सलीब पर भी लटका सकता है, वह यदि तुम्हें विस्तार देतें है तो तराश भी सकते है। तुम्हारा काम है सिर्फ सर्मपण, बाबा मे समर्पित हो जाओ!
ॐ साँई राम।।।