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Author Topic: वास्तविक पूजा क्या है  (Read 3719 times)

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Offline Pratap Nr.Mishra

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  • राम भी तू रहीम भी तू तू ही ईशु नानक भी तू
  
ॐ  साई राम  

येनकेन प्रकारेण यस्य कस्यपि देहिन |
संतोष जनयेद्राम तदेश्वर पूजनम् ||


किसी भी प्रकार से किसी भी देहधारी को संतोष प्रदान करना - यही वास्तविक पूजा है;

निराश्रित को आश्रय, अज्ञानी को ज्ञान, वस्त्रहीन को वस्त्र, भूखे को भोजन, प्यासे को पानी,
निर्बल की रक्षा, भूले भटके को सही राह, दुखी को दिलासा, ईश्वर-परायण संत-सज्जन की
सेवा, रोते हुए को आश्वासन, थके हुए को विश्राम, निराश को आशा, उदास को खुशी, रोगी
को दवा, निरुद्यमी को उद्यम में लगाना, अधर्मी को धर्म की राह पर मोड़ना, तप्त को शांति,
व्यसनी को व्यसन-मुक्त बनाना, गिरे हुए को उठाना, दीन-दुखी, अनाथ, निर्बल की सहायता
करना, निराधार का आधार बनना, अपमानितों को मान देना, शोक-ग्रस्त को सांत्वना देना,
 अर्थात जहाँ जिसको जिस समय जैसी आवश्यकता हो, उसे यथा-शक्ति मदद करनी चाहिए;

 ब्रह्मवेत्ताओं के वचन के आधार से मनन करके अंतर-मुख होना, तथा आत्म-साक्षात्कार करना,
 यह सभी कर्मों का एवं जीवन का मुख्य उद्देश्य होना चाहिए;
« Last Edit: July 31, 2011, 12:49:15 AM by Pratap Nr.Mishra »

Offline ShAivI

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  • बाबा मुझे अपने ह्र्दय से लगा लो, अपने पास बुला लो।
Re: वास्तविक पूजा क्या है
« Reply #1 on: July 31, 2011, 01:35:50 AM »
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  • साईं राम प्रताप जी, :) ;) :D ;D

    बहुत ही सुन्दर.

     
    कृपया आप इसी तरह बाबा के श्री  साईं सत चरित्र में छिपे "अनमोल मोती" को इस तरह हमारे साथ बांटकर हमें भी बाबा के बताये राह पर चलने के लिए हमें प्रेरित करते रहिये.

    ॐ साईं राम!

    Be Blessed!
    Love & Light!
    Om sai Ram! :)

    JAI SAI RAM !!!

    Offline Pratap Nr.Mishra

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    • राम भी तू रहीम भी तू तू ही ईशु नानक भी तू
    Re: वास्तविक पूजा क्या है
    « Reply #2 on: July 31, 2011, 02:47:16 AM »
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  • शैबिजी जय साई राम

    आपका  बहुत -बहुत धन्यबाद  जो आप  इन  विचारो  को पढ़ा ओर मुझे
    उत्साहित किया कुछ  नया करने के लिये प्रेरित किया . आप एक  महिला
    है इस वजह से आप उम्र के अनुसार (जो मुझे ज्ञात नहीं है )मेरी माँ ,मेरी
    बहन या मेरी बेटी के समरूप है. एक महिला होने के नाते ईश्वर ने आपको
    एक अनमोल शक्ति से  नवाजा है वो है  प्यार,ममता ओर दया की शक्ति .
    मेरा निवेदन है आपसे ओर सभी फोरम के महत्वपूर्ण,ज्ञानी ओर कर्ताव्पारायण
    मेम्बरों से  की बड़ी ही सहजता ओर सरलता से बाबा के वचनों ओर विचारो
    को  अधिक से अधिक इस फोरम के माध्यम से फेलाने का कार्य करें.
    माफ़ करियेगा वेसे आप सभी फोरम के सदस्य बाबा की अर्थात बाबा के अनमोल
    वचनों ओर विचारो से बहुत ही अच्छी तरह से अवगत ओर ज्ञान संचित है,
    पर केवल एक छोटा साई अनुयाई की तरफ से एक प्रेमपूर्वक अनुरोध ही है मेरा .

    "पर निंदा ओर पर चर्चा को बाबा ने विष्टा खाते हुये सूअर के सामान संबोधित किया है "
    « Last Edit: July 31, 2011, 04:04:53 AM by Pratap Nr.Mishra »

    Offline Devbani

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    Re: वास्तविक पूजा क्या है
    « Reply #3 on: September 26, 2011, 06:49:02 AM »
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  • बहुत अच्छा लिखा आपने अभी हाल ही में मैंने अपने निकट ही एक घटना देखि इसमें एक बेटी ने अपने पति और ससुराल वालो के साथ मिलकर अपनी माँ को विष देकर मार डाला. यह परिवार अत्यंत धार्मिक है नित्य पूजा और सप्ताह में एक बार कीर्तन उनका  नियम है. मन को अघात लगा यह जानकार की दिए तले कितना भयानक अँधेरा है. बाबा ने सही कहा है खूखे को भोजन दो, प्यासे को पानी दो , पथिक को आश्रय दो, और अगर कुछ भी नहीं कर सकते तो कम से कम बुरा न बोलो , धन्यवाद भाई जी
    « Last Edit: September 26, 2011, 06:51:14 AM by Devbani »

    Offline Pratap Nr.Mishra

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    • राम भी तू रहीम भी तू तू ही ईशु नानक भी तू
    Re: वास्तविक पूजा क्या है
    « Reply #4 on: September 26, 2011, 09:47:22 AM »
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  • ॐ साईं राम

    देवबानीजी जय साईं राम

    बहुत ही ह्रदय विदारक घटना से वाकिफ करवाया. सही कहाँ है आपने की दिए तले अँधेरा . बहन जानती है ऐसी घटनाओं का का कारण तुच्छ लाभ की  आशा और माया की महापोश में पूरी तरफ असक्त होने की वजह होती है. इंसान अपने स्वार्थ हेतु किसी को मरने में भी नहीं हिचकता . वो भूल जाता है की किया गया कर्म कर्ता को अनुशरण करता रहता है और जीवन के किसी न किसी मोड़ में उसी रूप में सामने आके खड़ा होता है . आज ये किसी की मृतु का कारण बने है तो एकसमय कोई इनकी मृतु का भी कारण बनेगा .

    केवल दिखावटी पूजा करना या बहुत धार्मिकता का ढोंग करने से मनुष्य की प्रविर्ती और उसकी प्रकृति में परिवर्तन नहीं होता जबतक सही अर्थ में वो पूजा का असली अर्थ न समझता हो. लाख पूजा ,सत्संग ,भंडारा  इत्यादि करने पे भी उसे वो नहीं प्राप्त हो सकता जो किसी अन्य को केवल दुसरे की एक निस्वार्थ सेवा से प्राप्त हो जाता है. पूजा मन से की जाती है न की समाज को दिखलाने के लिए.

    बाबा सदेव  इसलिए सर्वथा निस्वार्थ कर्म करने को कहते थे . कर्मो के आधार पे ही जीवन में सुख, शांति एवंग समृद्धि की प्राप्ति होती है. पूजा का अर्थ केवल अपने स्वार्थ की सिद्धि की प्राप्ति से नहीं होता वरन दुसरो की सेवा से होता है . बाबा कहते थे की तू दुसरे की सेवार्थ की सोचेगा और उसके लिए ही कर्म करता रहेगा  तो मालिक तुझे अवश्य  देखेगा और तेरा सदा ही भला होगा . सही अर्थ में मुझे मेरी अल्पबुद्धि में पूजा का अर्थ यही समझ में आता है की पर हित की सेवा में ही खुद को समर्पित करना और गुरु के अनमोल विचारो और वचनों को सही तरीके से समाज में फेलाना और खुद भी इनको अपने जीवन में आत्मसात करने की सदा कोसिस करते रहना . कोई अवसकता नहीं उस पूजा की जो मन और आत्मा में पड़ी अज्ञानता की दूर करने में सहायक न हो और दुसरे के लिए काम नहीं आये .

    साईं राम
    « Last Edit: September 26, 2011, 09:51:55 AM by Pratap Nr.Mishra »

    Offline Devbani

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    Re: वास्तविक पूजा क्या है
    « Reply #5 on: September 27, 2011, 11:05:31 AM »
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  • आपने बड़ा सही कहा भाई जी इस घटना को सुनने के बाद हम भी सभी भओंचाक्के रह गए. यह एक पंक्ति है कि " बेटी अंतिम समय तक बेटी रहती है जबकि पुत्र नहीं " इस घटना के बाद ह्रदय विस्मित हो गया. नाजाने कितनी बेटियों ने खुद को मिटाकर एक साख बनायीं जो ऐसी तुच्छ मानसिकता वाली मुट्ठी भर कन्याओं ने धुल में मिलकर रख दी. आप ऐसे ही सदा अपने अनुभव और ज्ञान से हमारा मार्गदर्शन कराते रहिएगा भाई जी

    ॐ साईं राम


     


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