जय सांई राम
एक बार स्वामी नारायण संप्रदाय के संस्थापक स्वामी सहजानंद से मिलने पंडित दीनानाथ आए। पंडित जी को असंख्य श्लोक कंठस्थ थे। स्वामी जी ने उनका यथोचित सत्कार किया, फिर पूछा, ' आपको कितने श्लोक कंठस्थ हैं?'
' अठारह हजार। कहिए तो सुना दूं।'
' नहीं। मगर मैं जानना चाहता हूं कि इनमें से कितने श्लोक आपको मोक्ष प्राप्ति के लिए सहायता करेंगे।'
पंडित जी कुछ देर सोचने के बाद बोले, 'यह तो कभी सोचा ही नहीं। ऐसी गणना कभी की नहीं।'
स्वामी जी बोले, 'जो विद्या मुक्ति प्रदान न करे, वह व्यर्थ है। वैसे तो तोते भी श्लोक का पाठ करते हैं। पर क्या उससे आत्मा का कल्याण हो जाता है?'
ॐ सांई राम।।।