विनती
गरीब बच्चो को देखती हूँ
दिल उदास और परेशान हो जाता है
और फिर प्रशन करती हूँ बाबा से ?
क्या यह हक़ीकत है
इनका क्या जीवन है
इनके लिए क्या सुख है
हाथो में खिलोने न होकर
भीख का कटोरा होता है
मुख में चाशनी से भरा रसगुल्ला न होकर
सूखी रोटी होती है
ममता सा भरा आचल न होकर
सड़क का एक कोना होता है
बाबा आपसे हाथ जोड़कर विनती करती हूँ
अपनी रचना को बदल दो
सबको एक समान बना दो
न कोई गरीब न कोई अमीर
इन बच्चो को भी एक मोका देदो
अपना जीवन जीने का
सब जानती हूँ यह सब कर्मो का फल है
हम सब को भोगना ही है
आज कर्मो को एक तरफ रख कर
इन बच्चो को अपना साहारा दे दो
इन्हे भी ठंडी छाओ दे दो
खेल ने के लिए खिलौना और
खाने के लिए रसगुल्ला दे दो
जय साईंराम ........
LETS PRAY FOR POORS...