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Author Topic: Motiyabind  (Read 6807 times)

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Offline JR

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Motiyabind
« on: October 11, 2007, 09:39:01 AM »
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  • मोतियाबिंद: भ्रांतियां और निराकरण

    विश्व दृष्टि दिवस पर हमें निवारण योग्य अंधता के संदर्भ में विचार करने की जरूरत है। गौरतलब है कि भारत में लगभग 50 वर्ष से अधिक आयु वाले अधिकांश व्यक्ति मोतियाबिंद के शिकार हैं। मोतियाबिंद दृष्टि को क्षीण कर उसे अंधता की ओर ले जाता है। इसलिए विश्व दृष्टि दिवस के उपलक्ष्य पर मोतियाबिंद के बारे में व्याप्त भ्रांतियों का निराकरण करना जरूरी है। आज मोतियाबिंद का इलाज अतीत के तुलना में काफी आसान हो गया है, जैसे फेको विधि द्वारा छोटे चीरे से, बिना टांका किया गया आपरेशन मोतियाबिंद का सर्वमान्य इलाज है। इस प्रक्रिया का सही लाभ प्राप्त करने के लिए फोल्डेबुल लेंस प्रत्यारोपित किया जाना आवश्यक है।

    मोतियाबिंद आपरेशन केवल पकने पर ही किया जाना चाहिए।

    फेको विधि में पके मोतिये का आपरेशन अधिक मुश्किल होता है। पके मोतिये को तोड़ने में ज्यादा ऊर्जा की आवश्यकता होती है। इससे आंखों को ज्यादा क्षति होती है। इसके विपरीत कच्चे मोतिये पर की गयी शल्य प्रक्रिया ज्यादा संतुलित होती है। इसी कारण ऑपरेशन के परिणाम बेहतर आते है।

    मोतिया आपरेशन बहुत आसान होता है

    फेको प्रक्रिया में तकनीकी जटिलाएं होती है। इसके लिए विशेष ट्रेनिंग की आवश्यकता पड़ती है। फेको विधि में पारंगत नेत्र सर्जनों का आज भी अभाव है। इसलिए देश भर में फेको सर्जरी ट्रेनिंग कार्यक्रम चलाये जा रहे है। पारंगत फेको सर्जन और अत्याधुनिक मशीनों का सामंजस्य आसानी से उपलब्ध नहीं होता।

    यह ऑपरेशन सस्ता ऑपरेशन है।

    मोतिया आपरेशन का उद्देश्य दृष्टि प्राप्ति करना है और इसका उचित प्रयास एक जटिल प्रक्रिया है। इसी कारण हमें यह मानसिक तैयारी करनी है कि मोतिया आपरेशन पर भी पैसा खर्च करना आवश्यक है।

    मोतिया सर्जरी जाड़े में ही सफल है।

    फेको विधि एक नियंत्रित प्रक्रिया है। इस पर मौसम का कोई फर्क नहीं पड़ता। जून और जनवरी में किए गए आपरेशन के परिणामों पर कोई फर्क नहीं पड़ता।

    आपरेशन के बाद दृष्टि प्राप्ति की गारंटी सुनिश्चित होती है।

    काफी हद तक यह बात सही है, पर दृष्टि में क्षीणता के कई कारण होते है। ये एक साथ उपस्थित हो सकते है। इनमें प्रमुख है कार्निया की बीमारी, काला मोतिया, मधुमेह और उम्र जनित रेटिनोपैथी।

       डॉ. मलय चतुर्वेदी
    सबका मालिक एक - Sabka Malik Ek

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    Offline marioban29

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    Re: Motiyabind
    « Reply #1 on: January 16, 2008, 11:27:37 AM »
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