जय सांई राम।।।
इस बात को सदा ख्याल में रखो : जितना तुम्हारा धन्यवाद गहरा होगा, उतनी ही तुम्हारी उपलब्धि बढ़ती चली जाएगी। क्योंकि जो छोटी भेंटें आती है, अगर उनको इंकार कर दिया तो बड़ी भेंटें फिर नही आएगी। क्योकि तुम पात्र ही सिद्ध न हुए। तुम समझे ही नही। ये छोटी भेंटें एसी है मानो परमात्मा ने तुम्हारी तरफ डोरे फेंकने शरू किये है। आनन्दित होओ। नाच उठो। मगन हो जाओ कि मुझ अपात्र को इतना भी हुआ, यही क्या कम है। होना तो यह भी नही चाहिए था। मगर फिर भी यह हुआ, तो उसकी अनुकंपा से हुआ होगा, मेरी पात्रता से नही।
झुको उसके चरणों मे सिर रख दो। और तब पाओगे कि कुछ कुछ होने लगा....धीरे धीरे
ॐ सांई राम।।।