जय साँई राम,
ये बात सन 1996 की है तब तक बाबा ने हमें अपनी शरण में नहीं लिया था हमारी एक महान सन्त से मुलाकात हुई वे ब्रज के परम वीतरागी सन्त श्री श्री पाद बाबा जी थे सच कहा जाय तो आज तक हमने एसे सन्त के दर्शन नहीं किये थे ।सन 1997 में हम श्री साँई माहराज की शरण में आये । अभी कुछ दिन पहले में बाबा के सामने बैठी थी अचानक मैंने बाबा से कहा कि बाबा आप मेरी हर मुराद पूरी करते हो पर मैंने आपको देखा क्यों नहीं ये कसक सदा मेरे मन में बनी रहती है इतना कहते-कहते मैं रोने लगी बहुत रोई पता नहीं क्या-क्या कह्ती गई और रोती गई । साँई बाबा की लीला देखिये उसी रात मैंने सपने में श्री श्री पाद बाबा को देखा मैं एक दम उठ कर बैठ गई मैंने बाबा की तस्वीर को प्रणाम किया और कहा हे मेरे साँई मैं समझ गई मैंने आपको श्री श्री पाद बाबा के रूप में देखा है। उसी समय याद आया कि हेमाड़पन्त ने साँई सत्चरित्र में लिखा है कि सभी महान सन्त आपस में कहीं न कहीं एक ही हैं मुझे उस पूरे दिन इतना आनन्द रहा कि मैं बता नहीं सकती मैं ये सोच कर अविभूत थी कि बाबा ने मेरे रोने से द्रवित हो कर कितने सुन्दर तरीके से मेरा समाधान किया।
हे साँई बाबा आपके चरण कमलों में मेरा बारम्बार प्रणाम है । आपकी एसी ही क्रिपा सदा भक्तों पर बनी रहे । ॐ श्री साँई नाथाय नमः