जय सांई राम।।।
मन का अर्थ ही यह होता है कि जो सदा बंटा हुआ है, जो सदा द्वंद्व में है - कहता है बाएं चलो, कहता है दाएं चलो; जो कभी एकजुट नही होता। और उसको एकजुट करने का एक ही उपाय है कि जीवन में कुछ ऐसे निष्कर्ष लो जो निष्कर्ष तुम्हारी सारी शैली को बदल जाएं, जो तुम्हें आमूल रपांतरित कर जाएं।
ॐ सांई राम।।।